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जादुई पतीला - पंचतंत्र की कहानी | Magical pot story in hindi

जादुई पतीला - पंचतंत्र की कहानी | Magical pot story in hindi


कई वर्ष पहले रामपुर नगर में भोला नाम का एक किसान रहता था। वह गांव के एक जमींदार के खेत पर काम करके किसी प्रकार से अपना घर चला रहा था। 


पहले भोला के पास भी खेत थे, लेकिन उसके पिता जी के बीमार होने के कारण उसे अपने सारे खेत बेचने पड़े। मजदूरी में मिलने वाले पैसों से पिता का इलाज कराना और घर का खर्च चलना मुश्किल हो रहा था। 



भोला हर दिन सोचता था की कैसे घर की स्थिति को बेहतर किया जाए। आज भी इसी सोच के साथ भोला सुबह-सुबह जमींदार के खेत पर काम करने के लिए निकला। 




खुदाई करते समय उसकी कुदाल किसी धातु से टकरा गई जिससे एक तेज आवाज हुई। भोला के मन में हुआ की आखिर ऐसा क्या हैं यहाँ? उसने तुरंत उस हिस्से को खोदना शुरू किया तो वहां से एक बड़ा सा पतीला निकला। पतीला देख कर भोला दुखी हो गया। 



भोला के मन में आया की अगर ये जेवरात होते तो मेरे घर की हालत सुधर जाती। फिर भोला ने सोचा की चलो, खाना ही खा लेता हूँ। भोला ने खाना खाने के लिए अपने हाथ की कुदाल उस पतीले में फेक दी और हाथ मुँह धोकर खाना खाने लगा। खाना खत्म होने के बाद भोला अपनी कुदाल उठाने के लिए उस पतीले के पास पंहुचा। 




वहां पहुंचते ही भोला हैरान हो गया। उस पतीले के अन्दर एक नहीं, बल्कि बहुत सारे कुदाल थे। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। तभी उसने अपने पास रखी एक टोकरी को उस पतीले में फेक दिया। वो एक टोकरी भी पतीले के अंदर जाते ही बहुत सारी हो गई। यह सब देख कर भोला बहुत खुश हो गया और उस जादुई पतीले को अपने साथ घर ले गया। 





भोला हर दिन उस बर्तन में अपने कुछ औजार डालता और जब वो ज्यादा हो जाते, तब वह उन्हें लेकर बाजार जाता और  बेच देता। ऐसा करते-करते भोला के घर की हालत सुधरने लगी। उसने इस तरह से बहुत पैसा कमाया और अपने पिता का इलाज भी करवा लिया। एक दिन भोला ने कुछ गहने खरीदे और उन्हें भी पतीले में डाल दिया। वो गहने भी बहुत सारे हो गए। इस तरह धीरे-धीरे भोला अमीर होने लगा और उसने जमींदार के यहाँ मजदूरी करना भी छोड़ दिया। 




भोला को अमीर होते देख जमींदार को भोला पर शक हुआ। जमींदार सीधे भोला के घर पहुंचा। वहां जाकर उसे जादुई पतीले के बारे में पता चला। उसने भोला से पूछा,  "तुमने यह पतीला कब और किस के घर से चुराया हैं"?

डरी हुई आवाज में भोला बोला, "साहब! ये पतीला मुझे खेत में खुदाई के समय मिला था। मैंने किसी के घर से चोरी नहीं की हैं"। 




खेत में खुदाई की बात सुनते ही जमींदार ने कहा, "यह पतीला जब मेरे खेत से मिला हैं, तो यह मेरा हुआ"। भोला ने जमींदार से जादुई पतीला न ले जाने की बहुत मिन्नत की, लेकिन जमींदार ने उसकी एक भी नहीं सुनी। वो जबरदस्ती अपने साथ उस पतीले को लेकर चला गया। 


जमींदार ने भी भोला की तरह उसमे सामान डालकर उन्हें बढ़ाना शुरू किया। एक दिन जमींदार ने अपने घर में मौजूद सारे गहने एक-एक कर के उस पतीले में दाल दिए और रातों-रात बहुत अमीर हो गया। 






अचानक से जमींदार के बहुत ज्यादा अमीर होने की खबर रामपुर नगर के राजा तक पहुंच गई। पता लगाने पर राजा को भी जादुई पतीले की जानकारी मिली। फिर क्या था, राजा ने तुरंत अपने लोगों को भेज कर जमींदार के यह से वो पतीला राजमहल मंगवा लिया। 





राजमहल में उस जादुई पतीले के पहुंचते ही राजा ने अपने आस-पास मौजूद सामान को उसमें शुरू कर दिया। सामान को बढ़ता देख कर राजा दंग रह गया। होते-होते आखिर में राजा खुद उस पतीले के अंदर चला गया। देखते ही देखते उस पतीले से बहुत सारे राजा निकल आये। 




पतीले से निकला हर राजा बोलता, "मैं रामपुर नगर का असली राजा हूँ, तुम्हे तो इस जादुई पतीले ने बनाया हैं"। ऐसा होते-होते सारे राजा आपस में लड़ने लगे और लड़कर मर गए। लड़ाई के दौरान वह जादुई पतीला भी टूट गया। 






जादुई पतीले के कारण राजमहल में हुई इस भयानक लड़ाई के बारे में नगर में सब को पता चल गया। इस बात की जानकारी मिलते ही मजदूर भोला और जमींदार ने सोचा, अच्छा हुआ की हमने उस जादुई पतीले का इस्तेमाल सही किया। उस राजा ने अपनी मूर्खता के कारण अपनी जान ही गवां दी। 





सीख: इस कहानी से हमें सीख मिलती हैं की मूर्खता का अंत बुरा ही होता हैं।










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